इस भारतीय बेटे को कभी नहीं भूल पाएगी दुनिया , कोरोना वैक्सीन के लिए खुद को कर दिया समर्पित #COVID-19

इस भारतीय बेटे को कभी नहीं भूल पाएगी दुनिया , कोरोना वैक्सीन के लिए खुद को कर दिया समर्पित

नई दिल्ली :कोरोना के आतंक के बीच ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी दुनिया को एक बड़ी राहत देने जा रही है। यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई कोरोना वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, जिससे एक उम्मीद की किरण जाग गई है। इस सब में मुख्य भूमिका निभाई भारतीय मूल के व्यक्ति दीपक पालीवाल ने, जिन्होने कोरोना वैक्सीन के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा दी।

भारतीय मूल के जयपुर के रहने वाले दीपक पालीवाल ने ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण के लिए वॉलंटियर बने और अपने शरीर पर कोरोना वैक्सीन का परीक्षण करवाया। अपने अनुभव को सांझा करते हुए दीपक ने कहा कि उन्हें पता था कि उनकी जान खतरे में है लेकिन उन्होंने निश्चय कर लिया था कि मानव जाति के कल्याण के लिए कुछ करना है। ट्रायल के दौरान एक सवाल यह भी था कि कि क्या वे अपने परिवार से मिल पाएंगे या नहीं। 

एक चैनेल को दिए इंटरव्यू में दीपक ने कहा कि मेरी पत्नी समेत पूरा परिवार मेरे इस फैसले को लेकर चिंतित थे। मुझे इस प्रयोग का हिस्सा बनने से मना किया जा रहा था। लेकिन में दुनिया को इस वैश्विक महामारी से बचाने में मदद करना चाहता था। भले ही इसके लिए मुझे अपनी जान खतरे में क्यों न डालनी पड़ती। मेरा   उद्देश्य सिर्फ यही था कि अगर हमारी वजह से कुछ अच्छा हो सकता है, तो हो जाए। 

दीपक पालीवाल ब्रिटेन के मैनचेस्टर में रहते हैं। उनका परिवार मूल रूप से राजस्थान के जयपुर का रहने वाला है। पालीवाल ने बताया कि मुझे कुछ चिंताएं थीं क्योंकि यह वैक्सीन सिर्फ जानवरों पर टेस्ट की गई थी। लोगों ने मुझे कई तरह की चेतावनियां दीं। कुछ ने कहा कि इसका असर मेरी प्रजनन क्षमता पर पड़ सकता है। कुछ ने यह भी कहा कि रिचर्स के लिए मेरे शरीर में चिप डाली जा सकती है ताकि मेरी मूवमेंट को ट्रैक किया जा सके। 'लेकिन मैं घबराया नहीं। मैं अपना फैसला कर चुका था। बता दें​ कि 11 मई को पालीवाल को वैक्सीन दी गई थी।