सरकार ने सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को एक रजिस्टर तैयार करने को कहा
इसमें उन कर्मचारियों का ब्योरा रहेगा, जो 50/55 साल की आयु पार कर चुके
नई दिल्ली, 03 सेप्टेंबर : केंद्र सरकार 50 साल से ज्यादा उम्र के ऐसे कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की तैयारी कर रही है, जिनकी परफॉर्मेंस कमजोर है। मोदी सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों और विभागों को 50 से ज्यादा की उम्र के कर्मचारियों की प्रोफाइल तैयार करने को कहा है। इस प्रोफाइल के आधार पर उनके कामकाज की हर तीन महीने में नियमित समीक्षा की जाएगी। बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक खबर के अनुसार, इन कर्मचारियों की परफार्मेंस अच्छी ना होने पर ऐसे लोगों को नौकरी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है। केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से शुक्रवार को इस संबंध में एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया गया है।
इस आदेश के अनुसार सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को एक रजिस्टर तैयार करना होगा। इसमें उन कर्मचारियों का ब्योरा रहेगा, जो 50/55 साल की आयु पार कर चुके हैं। इनकी तीस साल की सेवा भी पूरी होनी चाहिए। ऐसे कर्मियों के कामकाज की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। सभी विभागों के प्रमुखों को ऐसे कर्मचारियों की हर तीन महीने पर समीक्षा करने को कहा गया है। समीक्षा में यदि कोई कर्मचारी परफॉर्मेंस में कमजोर पाया जाता है तो फिर उसकी सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं।
30 साल काम कर चुके कर्मचारियों को किया जा सकता रिटायर गौरतलब है कि सरकार ने सभी मंत्रालयों और विभागों को जो पत्र भेजा है, उसमें विस्तार से यह समझाया गया है कि जनहित में, विभागीय कार्यों को गति देने, अर्थव्यवस्था के चलते और प्रशासन में दक्षता लाने के लिए मूल नियमों 'एफआर' और सीसीएस (पेंशन) रूल्स-1972 में समय पूर्व रिटायरमेंट देने का प्रावधान है। पत्र में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला भी दिया गया है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि समय पूर्व रिटायमेंट का मतलब जबरन सेवानिवृत्ति नहीं है।
बता दें कि सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) 1972 के नियम 56(जे) के अंतर्गत 30 साल तक सेवा पूरी कर चुके या 50 साल की उम्र पर पहुंचे अफसरों की सेवा समाप्त की जा सकती है। संबंधित विभाग से इन अफसरों की जो रिपोर्ट तलब की जाती है, उसमें भ्रष्टाचार, अक्षमता व अनियमितता के आरोप देखे जाते हैं। यदि आरोप सही साबित होते हैं तो अफसरों को रिटायरमेंट दे दी जाती है। ऐसे अधिकारियों को नोटिस और तीन महीने का वेतन-भत्ता देकर घर भेजा जा सकता है।