नई दिल्ली : देशभर में बड़ी तादाद में लंबित चेक बाउंस मामलों के जल्द निपटारे के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति का गठन किया है. यह समिति राज्य सरकारों समेत अन्य हिस्सेदारों से मिले सुझावों पर गौर करके तीन माह में सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल करेगी. CJI एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इसके लिए निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई से संबंधित मामलों पर विचार किया.
सीजेआई एसए बोबड़े कि अध्यक्षता वाली पीठ ने समिति में केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्तीय विभाग समेत विभिन्न केंद्रीय मंत्रालय के अधिकारी इस समिति में शामिल रहेंगे.
समिति में ये लोग होंगे शामिल
इस मामले पर सीजेआई ने कहा कि हम जस्टिस सेवानिवृत्त आरसी चौहान की अध्यक्षता में एक समिति का गठन कर रहे हैं. इसमें वित्तीय सेवा विभाग से अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी, न्याय विभाग, कॉर्पोरेट मामलों के विभाग, व्यय विभाग, गृह मंत्रालय के अधिकारी सदस्य के तौर पर शामिल रहेंगे. इसके अलावा इसमें एक अन्य सदस्य आरबीआई गवर्नर द्वारा नामित एक सदस्य होगा वहीं Indian Banking Association अध्यक्ष द्वारा नामित एक अन्य सदस्य भी समिति में रहेगा.
नालसा का सदस्य होगा समिति का सचिव
कोर्ट से जब वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने पूछा कि क्या इसमें नालसा का भी कोई सदस्य होगा? जो सीजेआई ने कहा कि हां नालसा का सदस्य इस समिति का सचिव होगा. वहीं इसके सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता होंगे.केंद्र समिति के कामकाज के लिए जगह आवंटित करेगा और भत्ते के लिए प्रदान करेगा जो यात्रा के लिए आवश्यक हो सकता है. सीजेआई ने कहा कि यह समिति 3 महीने के भीतर एक रिपोर्ट अदालत में पेश करेगी. अदालत में राज्य सरकीरों समेत अन्य पक्षों की पेशकश और सुझाव समिति को उपलब्ध कराई जाएंगी.
तेजी से बढ़ रहे मामले
भारत में चेक बाउंस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और यह बढ़कर 35 लाख तक पहुंच गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस के मामलों में कमी लाने के लिए इससे पहले केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वह ऐसे मामलों को तेजी से निपटाने के लिए अतिरिक्त अदालतें गठित कर सकती है. जिसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति गठित कर दी है. हालांकि चेक बाउंस के नियम पहले से ही कड़े हैं लेकिन इसके बाबजूद इस तरह के मामलों में कमी आती नहीं दिख रही है.