1 लाख 47 हजार: कोरोना महामारी के 21 महीनों में ये है अपने माता-पिता को गंवाने वाले बच्चों की संख्या, सुप्रीम कोर्ट में NCPCR की रिपोर्ट, This is the number of children who lost their parents in 21 months of Corona epidemic, NCPCR report in the Supreme Court

1 लाख 47 हजार: कोरोना महामारी के 21 महीनों में ये है अपने माता-पिता को गंवाने वाले बच्चों की संख्या, 

सुप्रीम कोर्ट में NCPCR की रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 16 जनवरी: सुप्रीम कोर्ट को एनसीपीसीआर ने यह जानकारी एक स्वतः संज्ञान से जुड़े मामले में दी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पूछा था कि उन बच्चों की संख्या क्या है, जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान अपने माता-पिता को गंवा दिया। इसी को लेकर एनसीपीसीआर (NCPCR) ने यह आंकड़े कोर्ट को सौंपे।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक बड़ा खुलासा किया है। आयोग के ताजा आंकड़ों की मानें तो कोरोना महामारी के दौर में एक अप्रैल 2020 के बाद से देश के 1 लाख 47 हजार 492 बच्चों ने अपने माता, पिता या दोनों में से किसी एक को गंवा दिया है। एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले करीब दो साल में अनाथ हुए बच्चों में से ज्यादातर के माता-पिता की जान कोरोनावायरस या फिर किसी अन्य घटना में गई है। 

सुप्रीम कोर्ट को एनसीपीसीआर ने यह जानकारी एक स्वतः संज्ञान से जुड़े मामले में दीं। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पूछा था कि उन बच्चों की संख्या क्या है, जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान अपने माता-पिता को गंवा दिया। इसी को लेकर एनसीपीसीआर ने यह आंकड़े कोर्ट को सौंपे। आयोग ने यह भी कहा कि उसके आंकड़े 11 जनवरी 2021 तक के हैं और इन्हें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से 'बाल स्वराज पोर्टल-कोविड केयर' में दिए गए डेटा के आधार पर जुटाया गया है।

एनसीपीसीआर के मुताबिक, 11 जनवरी तक जो डेटा अपलोड हुआ है, उससे सामने आता है कि देश में अप्रैल 2020 से लेकर अब तक दोनों माता-पिता को खोने वाले बच्चों की संख्या 10 हजार 94 रही, जबकि माता या पिता में किसी एक को गंवाने वालों की संख्या 1 लाख 36 हजार 910 मिली। इसके अलावा छोड़े गए बच्चों की संख्या 488 रही। इन सभी आंकड़ों को जोड़ा जाए तो देश में माता-पिता को गंवाने वाले बच्चों की संख्या 1 लाख 47 हजार 492 पहुंचती है। 

▶️ किस उम्र के कितने बच्चों ने गंवाए माता-पिता?
माता-पिता गंवाने वाले बच्चों में 76 हजार 508 लड़के रहे, जबकि 70 हजार 980 लड़कियां हैं, जबकि चार ट्रांसजेंडर बच्चे भी इसमें शामिल रहे। एफिडेविट के मुताबिक, जिस आयु वर्ग के बच्चे महामारी के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, उनमें आठ से 13 साल के 59,010 बच्चे, 14-15 साल के 22 हजार 763 बच्चे, 16-18 साल के 22,626 बच्चे शामिल रहे। इसके अलावा चार से सात साल के बीच के 26,080 बच्चों के माता या पिता या दोनों की इस दौरान जान गई। 

▶️ किन राज्यों में माता-पिता गंवाने वाले बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा?
अप्रैल 2020 से कोविड और अन्य कारणों से अपने माता या पिता या माता-पिता दोनों को खोने वाले बच्चों का राज्यवार विवरण देते हुए आयोग ने कहा कि ऐसे बच्चों की अधिकतम संख्या 
▪️ओडिशा (24,405) से है। इसके बाद 
▪️महाराष्ट्र (19,623), 
▪️गुजरात (14,770), 
▪️ तमिलनाडु (11,014),
▪️ उत्तर प्रदेश (9,247),
▪️ आंध्र प्रदेश (8,760),
▪️ मध्य प्रदेश (7,340),
▪️ पश्चिम बंगाल (6,835)
▪️ दिल्ली (6,629)  
▪️ राजस्थान (6,827) 
का स्थान आता है।

▶️ जिन बच्चों ने माता-पिता खोए, फिलहाल उनकी स्थिति क्या?
एनसीपीसीआर ने बच्चों के आश्रय की वर्तमान स्थिति की भी जानकारी दी। इसके मुताबिक, अधिकतम बच्चे (1,25,205) माता या पिता में से किसी एक के साथ हैं, जबकि 11,272 बच्चे परिवार के सदस्यों के साथ और 8,450 बच्चे अभिभावकों के साथ हैं। हलफनामे में कहा गया है कि 1,529 बच्चे बाल गृहों में, 19 खुले आश्रय गृहों में, दो अवलोकन गृहों में, 188 अनाथालयों में, 66 विशेष गोद लेने वाली एजेंसियों में और 39 छात्रावासों में हैं। आयोग ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि वह प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के एससीपीसीआर के साथ क्षेत्रवार बैठकें कर रहा है और उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ एक आभासी बैठक 19 जनवरी को होने वाली है।
(1 lakh 47 thousand: This is the number of children who lost their parents in 21 months of Corona epidemic)(NCPCR report in the Supreme Court)