नई दिल्ली, 13 जुलाई : राजस्थान में कांग्रेस के लिए पैदा हुए सियासी संकट के बीच अब एक बात साफ हो गई है कि अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच आर-पार की जंग छिड़ गई है और सुलह के सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं। शनिवार को इस संकट की शुरुआत के समय लग रहा था कि दिल्ली में पंचायत के बाद सारे मामले को सुलझा लिया जाएगा, लेकिन अब सचिन के बगावती तेवर से साफ हो गया है कि पानी नाक से ऊपर जा चुका है। सचिन पायलट इतना आगे बढ़ चुके हैं कि अब उनके पीछे लौटने की कोई राह नहीं दिख रही। वे साफ तौर पर मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा उठाए गए कदमों की राह पर बढ़ चले हैं।
व्हिप ने खड़ी की विधायकों के लिए मुश्किलें
जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाए जाने के बाद सचिन पायलट ने रविवार की रात साफ कर दिया कि वे इस बैठक में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार अल्पमत में आ गई है। सचिन पायलट के विधायक दल की बैठक में हिस्सा न लेने की घोषणा की तुरंत बाद ही जयपुर में पार्टी की ओर से व्हिप जारी करते हुए सभी विधायकों के लिए बैठक में आना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे साफ है कि बैठक में हिस्सा न लेने वाले विधायकों पर कार्रवाई की जा सकती है। सचिन पायलट के समर्थक विधायकों के लिए भी इस व्हिप मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
सचिन के एलान से वापसी के दरवाजे बंद
सचिन पायलट के विधायक दल की बैठक में हिस्सा न लेने के एलान, गहलोत सरकार को अल्पमत में बताने तथा 27 विधायकों के समर्थन का दावा करने से साफ है कि वे बगावत की राह पर हैं और कांग्रेस से उनकी दूरियां इतनी ज्यादा बढ़ चुकी हैं जहां से वापसी के दरवाजे बंद हो जाते हैं।