नागपुर 26 अगस्त : अपनी ईमानदारी के लिए चर्चित हो चुके आईएएस तुकाराम मुंढे का मुंबई तबादला कर दिया गया है। उन्हें महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण मुंबई का सदस्य सचिव बनाया गया है। तुकाराम मुंढे नागपुर म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के कमिशनर पद पर थे। उनकी जगह राधाकृष्णन बी को अपॉइंट किया गया है।
15 साल की नौकरी में 14 बार ट्रांसफर
– तुकाराम मुंढे का विवादों के साथ भी गहरा नाता रहा है। अक्सर नेताओं के साथ इनका टकराव होता रहा है। इस बार भी नागपुर आयुक्त पद से उनका तबादला स्थानीय नेता और अन्य सम पदस्थ अधिकारियों के भारी विरोध के चलते होना बताया जा रहा है।
– पिछले 15 साल की नौकरी में तुकाराम मुंढे का ये 14 वां ट्रांसफर है। मई 2016 से अब तक 6 बार उनका तबादला हो चुका है
क्या बनी ट्रांसफर की वजह ?
– बता दें कि नागपुर म्युनिसिपल कमिश्नर पद पर तुकाराम मुंढे को अभी बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ था। तुकाराम मुंढे की कार्यप्रणाली से खुद नागपुर के महापौर संदीप जोशी नाराज चल रहे थे। इसी तरह स्थानीय विधायक भी उनसे बहोत खफा थे। सूत्र बताते है कि नागपुर में उन्होंने कानून की परवाह नहीं करने वालो की नाक में दम कर रखा था।
– इस कारण लगातार इनके और नेताओं के बीच टकराव की खबरें सामने आ रही थीं। यह भी बताया जा रहा है कि बीजेपी के कई नेता और कांग्रेस के कुछ नेता भी तुकाराम मुंढे के तबादले के पक्ष में थे।
जानें तुकाराम मुंढे के बारे में :
तुकाराम मुंढे का जन्म बीड जिले के तडसेना के एक छोटे से शहर में हुआ था वह और उनके भाइयों ने कक्षा -10 तक जिला परिषद के स्कूल में अध्ययन किया। उनके पिता ऋणदाता के कर्ज में थे। 2001 में, अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्हें राज्य सेवा परीक्षा में दक्षता मिली और वित्त विभाग के दूसरे डिवीजन में नौकरी मिली।
वह दो महीने के लिए जलगांव में एक प्राध्यापक के रूप में काम करते रहे। उन्होंने मई 2005 में यशदा पुणे में प्रशिक्षण के दौरान केंद्रीय सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की । विशेष रूप से, वे देश में 20 वें स्थान पर थे। उनकी सेवा सोलापुर से शुरू हुई ।
2008 में, जब उन्हें नागपुर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में चुना गया था। उसी दिन उन्होंने कुछ स्कूलों का दौरा किया। इस दौरान उन्हें कई शिक्षक अनुपस्थित दिखाई दिए थे। अगले दिन, उन्होंने सभी शिक्षकों को निलंबित कर दिया। तब से, शिक्षको की अनुपस्थिति में सुधार आ गया।
शाला चिकित्सा देखभाल में अनियमितताओं को देखते हुए, उन्होंने कुछ डॉक्टरों को निलंबित कर दिया इतिहास में पहली बार, सीईओ ने डॉक्टर को निलंबित किया था। 2009 में उन्हें अतिरिक्त जनजातीय आयुक्त के रूप में नागपुर स्थानांतरित कर दिया गया था।
मई 2010 में, केवीआईसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में मुंबई में स्थानांतरित किया गया था। बाद में, जालना के जिलाधिकारी बना दिए गए।
वर्ष 2011-12 में, उन्होंने सोलापुर जिले के जिलाधिकारी के रूप में पदभार संभाला। सितंबर 2012 में, उन्हें मुंबई, बिक्री और कराधान विभाग में स्थानांतरित किया गया था।
जब वह पंढरपुर मंदिर समिति के अध्यक्ष थे, तो उन्होंने 21 दिनों में 3 हजार शौचालय व्यवस्थित किए। उसी समय उन्होंने मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल अन्य वीआईपी को रोक दिया था।
नवी मुंबई के आयुक्त और बाद में पुणे महानगर निगम के पीएमपीएमएल के अध्यक्ष पद को भी उन्होंने बखूबी संभाला था।