नाइट शिफ्ट में काम करने से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा ? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट #NightShift #Cancer

नाइट शिफ्ट में काम करने से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा ? 

जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

नई दिल्ली: एक पुरानी कहावत कही जाती है - रात सोने के लिए और दिन काम करने के लिए होता है। कुदरत ने दिन-रात कुछ सोच समझकर बनाई है। यदि आप कुदरत के बनाएं हुए नियमों को तोड़ने की कोशिश करेंगे, तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। कुदरत ने रात सभी प्राणियों के आराम करने के लिए बनाई है।

नाइट शिफ्ट करना मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से डैमेज कर सकता है। लेकिन इंसानों की बढ़ती चाहतों ने उन्हें अपने बारे में ना सोचने पर मजबूर कर रखा है। जिसका खामियाजा हमें खतरनाक बीमारियों के रुप में भुगतना पड़ता है जो जानलेवा भी हैं। हाल में वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं से पता चला है कि नाइट शिफ्ट में काम करने से लोगों में कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा होता है।
इस सर्वे के तहत दो शिफ्ट में काम कर रहे लोगों पर अध्ययन किया गया जिसमें उन्हें यह पता चला कि रात में काम करने वाले लोगों में 24 घंटे प्राकृतिक लय को प्रभावित करने का काम करते है। ऐसे लोगों में डीएनए बहुत ज्यादा क्षतिग्रस्त होता है जिससे ठीक करने वाला शारीरिक यंत्र भी सही तरीके से काम नहीं कर पाता है।

नाइट शिफ्ट से होता है कैंसर?

विशेषज्ञों ने अपने अध्ययन में पाया कि नाइट शिफ्ट वाले लोगों में कैंसर की बीमारी देखने को मिलती है। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है, कि नाइट शिफ्ट में काम करने से लोगों में कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा बढ़ सकता है। विशेषज्ञ बताते है कि हमारे शरीर मे भी एक जैविक घड़ी होती है, जो 24 घंटे के चक्र को बनाएं रखने में हमें मदद करती है। शोधकर्ता के अनुसार नाइट शिफ्ट का काम करने से जीनों की लयबद्धता बाधित हो सकती है। और यही वजह है कि इससे कैंसर जैसी बीमारियों को उत्पन्न हो सकती है।
शोध में क्या पता चला

इसका पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने दो शिफ्ट में काम करने वाले लोगों पर अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने दोनों शिफ्ट में काम करने वाले लोगों के खून के सैंपल को लेकर उसमें श्वेत रक्त कोशिकाओं का अध्ययन किया। इस सर्वे के दौरान पाया गया कि डे शिफ्ट करने वाले लोगों की तुलना में नाइट शिफ्ट करने वाले लोगों में कैंसर से जुड़े कई जीन अलग-अलग लय में थे। उन्हें नाइट शिफ्ट करने वाले लोगों में डीएनए अधिक क्षतिग्रस्त देखने को मिला। यह बात भी गौरतलब है कि रात में काम करनेवाले चाहे दिन में कितना भी सो लें उनकी नींद पूरी नहीं होती है।