दुनिया का सबसे लंबा और भारत का पहिला स्काई वॉक महाराष्ट्र के अमरावती में, निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने दी इजाजत World’s longest skywalk in Amravati

दुनिया का सबसे लंबा और भारत का पहिला स्काई वॉक महाराष्ट्र के अमरावती में

निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने दी इजाजत 

#Loktantrakiawaaz
नई दिल्ली: दुनिया का सबसे लंबा स्काई वॉक महाराष्ट्र के अमरावती (World’s longest skywalk in Amravati) जिले में बन रहा है. शीशे से बनने वाले इस स्काई वॉक के निर्माण के लिए मोदी सरकार (PM Narendra Modi) ने इजाजत दे दी है. अमरावती के चिखलदरा में तैयार होने वाला यह प्रस्तावित स्काईवॉक दुनिया का तीसरा और भारत का पहला कांच से बना स्काई वॉक होगा. यह 407 मीटर लंबा होगा. फिलहाल दुनिया का सबसे लंबा स्काई वॉक स्विट्जरलैंड में है. स्विट्जरलैंड का स्काई वॉक 397 मीटर लंबा है और चीन के स्काई वॉक की लंबाई 360 मीटर है. अमरावती के स्काई वॉक के निर्माण के प्रस्ताव को लेकर कुछ समय पहले समस्याएं सामने आ गई थीं. केंद्र सरकार ने इसके निर्माण को लेकर रेड सिग्नल दिया था. अब वह रेड सिग्नल ग्रीन सिग्नल में बदल गया है. अब केंद्र सरकार ने इस स्काई वॉक के निर्माण को मंजूरी दे दी है.

केंद्र की मंजूरी के बाद अब इसके निर्माण के काम में अब तेजी आएगी. पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे और अमरावती की संरक्षक मंत्री यशोमति ठाकुर के बीच इसके निर्माण से जुड़ी अड़चनों को दूर करने के लिए कुछ दिनों पहले मीटिंग भी हुई थी. केंद्र सरकार की इजाजत मिलने के बाद सारी अड़चनें अब दूर हो गई हैं. यशोमति ठाकुर ने ट्ववीट कर केंद्र सरकार से मुश्किलों को दूर करने में सहायक होने के लिए आदित्य ठाकरे का आभार जताया है. उन्होंने इस काम में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा विशेष ध्यान दिए जाने की वजह से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का भी आभार जताया है.
🐅 बाघों के संरक्षण को ध्यान में रख कर नहीं मिल रही थी मंजूरी
जिन इलाकों में यह स्काई वॉक तैयार हो रहा है, वहां घने जंगल हैं और बाघों का बसेरा है. बाघों के अलावा अन्य वन्य प्राणियों के संवर्धन और संरक्षण से जुड़े खतरे को देखते हुए मंजूरी मिलने में मुश्किलें पेश आ रही थीं. केंद्र की ओर से इस प्रोजेक्ट से जुड़ी इकॉलॉजिकल स्टडी करने की बात कही गई थी. सवाल किया गया था कि कहीं इससे वाइल्ड लाइफ पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा? केंद्र की ओर से इससे संबंधित पत्र में  नैशनल और स्टेट बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ से प्रोजेक्ट पर राय लेने की सलाह दी गई थी.