Aurangabad Name Change : एकनाथ शिंदे के फैसले पर शिवसेना उद्धव गुट को आपत्ति, कहा दो मंत्रियों वाले मंत्रिमंडल के फैसले की वैधता नहीं #ShivSena #UddhavThakrey #EknathShinde #Maharashtra #SanjayRaut #महाराष्ट्रसरकार

Aurangabad Name Change : एकनाथ शिंदे के फैसले पर शिवसेना उद्धव गुट को आपत्ति, 

कहा दो मंत्रियों वाले मंत्रिमंडल के फैसले की वैधता नहीं

मुंबई, 16 जुलाई: महाराष्ट्र में उद्धव सरकार द्वारा जाते-जाते जल्दबाजी में किए गए औरंगाबाद व उस्मानाबाद नामांतर के निर्णय पर एकनाथ शिंदे सरकार ने शनिवार को अपनी मुहर लगा दी है, लेकिन नई सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए शिवसेना उद्धव गुट के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि सिर्फ दो मंत्रियों वाले मंत्रिमंडल के फैसले की संवैधानिक वैधता नहीं होती।

➡️ शिंदे मंत्रिमंडल की बैठक में लगी फैसले पर मुहर
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने मंत्रिमंडल की अंतिम बैठक में महाराष्ट्र के दो शहरों के नाम बदलने का प्रस्ताव पारित कर दिया था। इस बैठक में औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर व उस्मानाबाद का नाम धाराशिव कर दिया गया था। इसके अलावा पनवेल में बन रहे नए विमानतल का नाम स्थानीय लोगों की मांग पर लोक नेता डीबी पाटिल विमानतल करने का फैसला किया गया था। सप्ताह में दूसरी बार बुलाई गई मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव सरकार के उस फैसले पर मुहर लगा दी। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि 29 जून को तत्काल सरकार ने अल्पमत में रहते हुए यह फैसला जल्दबाजी में किया था। भविष्य में इस निर्णय को लेकर कोई दिक्कत न पैदा हो, इसलिए हमारी पूर्ण बहुमतवाली सरकार ने इस निर्णय पर अपनी मुहर लगा दी है।

➡️ उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बोले, केंद्र के पास भेजेंगे प्रस्ताव
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अब सरकार महाराष्ट्र विधानमंडल में इन सभी नामांतरणों का प्रस्ताव पास करवाकर केंद्र सरकार के पास भेजेगी। वहां से अनुमति मिलने के बाद नामांतर की प्रक्रिया पूर्ण होगी।

➡️ सांसद संजय राउत को नहीं भाया शिंदे का फैसला
शिंदे मंत्रिमंडल ने भले ही उद्धव मंत्रिमंडल के ही फैसले पर मुहर लगाई हो, लेकिन उद्धव गुट के प्रवक्ता संजय राउत को यह फैसला भा नहीं रहा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164, 1ए के अनुसार राज्य मंत्रिमंडल में कम से कम 12 मंत्री होने चाहिए। इससे कम होने पर संविधान कैबिनेट को मंजूरी नहीं देता। पिछले दो सप्ताह से महाराष्ट्र में दो मंत्रियों का मंत्रिमंडल फैसले ले रहे है, जिसकी कोई संवैधानिक वैधता नहीं है। राज्यपाल, यह क्या हो रहा है?

➡️ शिंदे सरकार ने इसलिए लगाई फैसले पर मुहर
औरंगाबाद व उस्मानाबाद शहरों के नाम क्रमशः छत्रपति संभाजी नगर व धाराशिव करने की मांग शिवसेना द्वारा काफी पहले से की जाती रही है। शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे अपने जीवन भर इन नगरों को अब बदले जा रहे नामों से पुकारा करते थे। चूंकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बाला साहब के विचारों को आगे ले जाने का दावा करते हैं, इसलिए उन्होंने उद्धव सरकार के इस फैसले पर मुहर लगाकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी सरकार बाला साहब के विचारों वाली सरकार है।

➡️ एआइएमआइएम सांसद इम्तियाज बोले, शिंदे सरकार महापुरुषों के नाम को लेकर राजनीतिक कर रही
मुगल शासक औरंगजेब के नाम से जाने जाने वाले औरंगाबाद शहर का नाम बदला जाना कांग्रेस, राकांपा और एआइएमआइएम जैसी पार्टियों को रास नहीं आ रहा है। आज शिंदे सरकार द्वारा इस फैसले पर मुहर लगाए जाने के बाद औरंगाबाद से ही एआइएमआइएम के सांसद इम्तियाज जलील ने यह कहकर इस फैसले की आलोचना की है कि शिंदे सरकार महापुरुषों के नाम को लेकर राजनीतिक कर रही है। एआइएमआइएम इस नामांतर को लेकर औरंगाबाद में विरोध प्रदर्शन भी कर चुकी है।

➡️ कांग्रेस भी कर चुकी है विरोध
कांग्रेस भी सैद्धांतिक रूप से इस नामांतर की विरोधी रही है। जिस दिन उद्धव ठाकरे ने अपनी कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया था, उस दिन कांग्रेस के दो मंत्री असलम शेख व वर्षा गायकवाड बैठक का बहिष्कार कर बाहर आ गए थे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण ने फैसले के पक्ष में बोलते हुए कहा था कि इस इतिहास को बदला नहीं जा सकता कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज की बर्बरतापूर्वक हत्या की थी।

➡️ पहले खड़की थी इस शहर का नाम
औरंगाबाद से मुगल बादशाह औरंगजेब का नाम जुड़ता है। इस शहर का नाम पहले खड़की था। सन 1610 में इसे मलिक अंबर के बेटे फतेह खान ने जीत लिया और उसका नाम हो गया फतेहनगर। फिर 1636 में मुगल साम्राज्य के शहजादे औरंगजेब ने फतेहनगर जीत लिया और उसे मुगल साम्राज्य के दक्षिण क्षेत्र की राजधानी बनाया और उसका नाम रख दिया औरंगाबाद। छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित हिंदवी स्वराज नष्ट करने के लिए अपनी आयु के उत्तरार्द्ध में वह फिर दक्खन चला आया। किंतु 27 साल के जद्दोजेहद के बाद भी अपना मकसद पूरा नहीं कर पाया। आखिर में उसे औरंगाबाद में ही दफनाया गया। किंतु उससे पहले उसने छत्रपति संभाजी महाराज का बड़ी क्रूरता से कत्ल कर दिया था। इसी कारण से राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा इस्लामी शासक के नाम के बजाय हिंदवी साम्राज्य के राजा छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर इस शहर का नामकरण करना चाहते थे। इसी प्रकार हैदराबाद के नाम से जाने जाने वाले भाग्यनगर के अंतिम इस्लामी शासक मीर उस्मान अली खान का नाम धाराशिव नगरी को दिया गया और वो बन गया उस्मानाबाद। ये दोनों ही हैदराबाद निजाम के राज्य के बड़े शहर रहे। 1938 में शुरू हुए भागानगर मुक्ति संग्राम यानी हैदराबाद मुक्ति संग्राम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने निजाम के कब्जे वाले इलाकों में सारे इस्लामी नाम हटाकर मूल मराठी नाम रखने की मुहिम शुरू कर दी थी।

Aurangabad Name Change: Shiv Sena Uddhav faction objected to Shinde's decision, said the decision of the cabinet with two ministers is not valid.