कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 10 साल पहले ये कागज़ न फाड़ते तो आज बच जाते!, जिस अध्यादेश को 10 साल पहले फाड़ा आज वो बन सकता था 'संकट मोचक', क्या है जनप्रतिनिधि कानून? If former Congress President Rahul Gandhi had not torn this paper 10 years ago, he would have been saved today!, The ordinance that was torn 10 years ago could have become a 'troubleshooter' today, What is the People's Representative Act?

▪️कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 10 साल पहले ये कागज़ न फाड़ते तो आज बच जाते!

▪️जिस अध्यादेश को 10 साल पहले फाड़ा आज वो बन सकता था 'संकट मोचक'

▪️क्या है जनप्रतिनिधि कानून?

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नई दिल्ली, 25 मार्च : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मानहानि के एक मामले में सूरत कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें एक और झटका लगा।

सूरत कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए 2 साल की सजा सुनाई। हालांकि, उन्हें तुरंत जमानत भी मिल गई, लेकिन इस मामले को लेकर लोकसभा सचिवालय द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई।

अगर हमें भ्रष्टाचार से लड़ना है, तो छोटे समझौते बंद करना पड़ेगा। राहुल गांधी ने तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा लाए गए एक अध्यादेश को लेकर यह बात कही थी और आज इतिहास उनके सामने से गुजर रहा है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2013 के एक फैसले को निष्क्रिय करने के लिए एक अध्यादेश लाया गया था, जिसे राहुल गांधी ने फाड़ दिया था।

👉🏻 सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्क्रिय करने वाला अध्यादेश क्या था?
सितंबर 2013 में यूपीए सरकार ने अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को निष्क्रिय किया था, जिसमें कहा गया था कि सांसदों और विधायकों के दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। फैसले के खिलाफ अध्यादेश पारित भी हो गया था और उस वक्त भाजपा, वामदल समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध भी किया था, लेकिन अध्यादेश को वापस नहीं लिया गया। हालांकि, राहुल गांधी के दखल के बाद इस अध्यादेश को वापस ले लिया गया था।
विपक्षी पार्टियों के हंगामे के बाद कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए अध्यादेश की अच्छाइयों को जनता के सामने रखने की कोशिश की थी, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच में राहुल गांधी पहुंचे और खुद की ही सरकार पर सवाल खड़े करने लगे। इस दौरान उन्होंने अध्यादेश को बकवास बताया था और अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था। जिसको लेकर आज भी भाजपा उन पर निशाना साधती रहती है।

उस वक्त राहुल गांधी ने कहा था कि राजनीतिक दलों की वजह से हमें इसे लाने की आवश्यकता है। हर कोई यही करता है, लेकिन यह सब बंद होना चाहिए। अगर हम देश में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं, तो ऐसे सभी छोटे समझौते बंद करने पड़ेंगे। साथ ही उन्होंने सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को गलत बताया था।

राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए जब अध्यादेश को बकवास बता रहे थे तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका के दौरे पर थे और वहां से लौटने के बाद अक्टूबर में सरकार ने अध्यादेश को वापस ले लिया था। अगर इस अध्यादेश को वापस नहीं लिया जाता, तो शायद आज स्थिति दूसरी होती।

👉🏻 क्या है जनप्रतिनिधि कानून?
जनप्रतिनिधि कानून के तहत, अगर किसी सांसद या फिर विधायक को दो साल से ज्यादा की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। इसके अलावा सांसद या विधायक जब अपनी सजा की अवधि पूरी कर लेंगे उसके 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। इसका मतलब है कि राहुल गांधी 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

If former Congress President Rahul Gandhi had not torn this paper 10 years ago, he would have been saved today!

▪️ The ordinance that was torn 10 years ago could have become a 'troubleshooter' today

▪️ What is the People's Representative Act?