171 दिनों से आधा लीटर गरम पानी पीकर उपवास किये जैन संत विरागमुनि, इस वर्ष 14 जनवरी को चंद्रपुर में लिया था अंतिम बार आहार, इस दौरान 3 राज्यो की 1000 किलो मीटर पदयात्रा की, WHO को रिपोर्ट देंगे डॉक्टर #Jain #JainUpwas #Jainsamaj #Fasting #WHO #Viragmuni #JainSant

💥 171 दिनों से आधा लीटर गरम पानी पीकर उपवास किये जैन संत विरागमुनि

💥 इस वर्ष 14 जनवरी को चंद्रपुर में लिया था अंतिम बार आहार

💥 इस दौरान 3 राज्यो की 1000 किलो मीटर पदयात्रा की

💥 WHO को रिपोर्ट देंगे डॉक्टर

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बालाघाट, 06 जुलाई: मध्य प्रदेश शहर के बालाघाट दादाबाड़ी इन दिनों जैन समाज ही नहीं बल्कि सभी के लिए उत्सुकता का केंद्र बनी हुई है. यहां जैन मुनि विरागमुनि उपवास पर हैं. वे भी कुछ दिनों से नहीं बल्कि पूरे 171 दिन से. बुधवार को 172वां दिन था लेकिन उन्होंने ईश्वरीय मर्यादा को ध्यान में रखते हुए बुधवार को उपवास बंद कर पारणा का निश्चय किया. ईश्वरीय मर्यादा यह है कि भगवान महावीर स्वामी ने अपने जीवनकाल में 178 दिन के उपवास रखे थे. इससे अधिक दिनों तक उपवास का वर्णन जैन समाज में नहीं है. डॉक्टरों की एक- रिसर्च टीम ने विरागमुनि की सेहत की जांच की और उन्हें पूरी तरह फिट देखकर हैरानी भी जताई. यह रिपोर्ट टीम डब्ल्यूएचओ (WHO) को देगी.
15 जनवरी, 2023 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर में विरागमुनि ने आहार का त्याग कर दिया था. उनके अनुसार, 'आत्मा की शक्ति अनंत है, इस उपवास से युवा पीढ़ी और पूरी दुनिया यह जान सकेगी कि ये शक्ति कितनी विराट है. उपवास सिर्फ इस शक्ति के प्रकटीकरण के लिए है. योग, ध्यान, प्राणायाम, सूर्य और पानी की ऊर्जा से यह तप संभव हो सका है.' बड़ौदा के सुमनदीप विद्यापीठ विश्वविद्यालय से 3 डॉक्टरों की रिसर्च टीम बालाघाट पहुंची. टीम में बड़ौदा से डॉ. आशीष शाह, डॉ. घनश्याम और दुर्ग से डॉ. डीपी बिसेन शामिल रहे. इन्होंने विरागमुनि के स्वास्थ्य की जांच की और यह पता लगाने की कोशिश की कि इतने लंबे उपवास का उनके शरीर पर क्या प्रभाव पड़ा है. डॉ. शाह ने बताया कि यह रिसर्च इसलिए भी अहम है क्योंकि सामान्यतः बिना भोजन के सिर्फ गर्म पानी पीकर इतने दिनों तक उपवास पर रहने के बाद स्वस्थ तो दूर जीवित, रहना भी असंभव है. एनालिसिस रिपोर्ट की जांच के बाद ही सामने पाएगा कि ऐसा कैसे संभव हुआ. निराहार रहने का संकल्प लेकर महाराष्ट्र के चंद्रपुर शहर से निकले विरागमुनि छत्तीसगढ़ पहुंचे. यहां राजनांदगांव, दुर्ग, रायपुर, खैरागढ़ से मध्य प्रदेश के बालाघाट तक सफर किया. उन्होंने 14 जनवरी, 2023 को अंतिम बार चंद्रपुर शहर में आहार ग्रहण किया था. रोजाना सिर्फ आधा लीटर गरम पानी ग्रहण करते हैं. आम आदमी के लिए इस तरह का तप करना तो दूर सोचने पर भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि कोई संत व्यक्ति स्वाद का अनुराग छोड़कर इतना विरागी कैसे हो सकता है. इतने लंबे उपवास के बाद उनका शरीर दुर्बल जान पड़ता है लेकिन चेहरे का तेज बढ़ता ही गया.

👉🏻 तपस्या के पारणे का लाभ 
किसी संत ने अपनी तपस्या के पारणे का लाभ पहली बार उन लाभार्थियों को दिया जो उन्हीं के समान तपस्या कर सके. जैन मुनि तपस्वी विराग मुनि ने बुधवार को मध्यप्रदेश के बालाघाट में चातुर्मास के दौरान अपने 171 दिन के उपवास का पारणा किया.

पारणा का लाभ लेने के लिए अधिकांशतया रुपयों की बोली लगाई जाती है जो जीवदया या मंदिर निर्माण के काम आती है, लेकिन यहां पर संत विरागमुनि ने अपने गुरु गणाधीश पन्यास विनयकुशलमुनि महाराज से आज्ञा लेकर लाभार्थियों को तपस्या की बोली लगाने का आग्रह किया. इस पर जयकुमार देवी वसंतकुमार कांकरिया परिवार ने एक साल में सर्वाधिक 5571 सामयिक करने की बोली बोलकर गुरुदेव पर केशर छांटने का लाभ लिया. रायपुर निवासी माणकचंद चोपड़ा परिवार ने 3011 एकासणे व्रत की बोली लगाकर अक्षत से गुरुदेव को बधाने का लाभ लिया. अजय लुणिया व पवन बाफना ने आजीवन ब्रह्मचर्य व अभिनव बाफना व नमन खंजाची ने दो साल तक ब्रह्मचर्य व्रत पालन की बोली लगाकर पारणे का लाभ लिया. 

मुनि जीवन के पहले राजस्थान के पाली शहर के हैं विराग मुनि, पत्नी व दो बच्चों के साथ ली थी जैन दीक्षा.

पाली निवासी तपस्वी विराग मुनि का नाम वैराग्य से पहले मनोज पुत्र गौतमजी डाकलिया था. इन्होंने 22 अप्रैल, 2013 को पत्नी मोनिका डाकलिया, पुत्री खुशी डाकलिया और पुत्र भव्य डाकलिया के साथ संत विनय कुशल मुनि से दीक्षा ग्रहण की. अब उनकी पत्नी का नाम वीरती यशाश्री, बेटी का नाम विनम्र यशा श्री और बेटे का नाम भव्य मुनिश्री है. तपस्या के दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया और दिनभर में सूर्योदय तक आधा लीटर गर्म पानी ही पीया पूरे दिन स्वाध्याय व भक्ति के - साथ वे अपने गुरु के लिए गोचरी लेने भी जाते थे.

👉🏻 मुनि पर रिसर्च 47 की उम्र, ऊर्जा 18-20 जैसी, बोले- सूर्य व हवा से ली ऊर्जा :
तपस्या के दौरान सुमनदीप विद्यापीठ बड़ौदा के जैन फिलोसॉफी एंड रिसर्च सेंटर की टीम के डॉ. आशीष शाह, डॉ. घनश्याम परमार, डॉ. डीसी जैन ने विराग मुनि पर रिसर्च करने के लिए फिजिकल व बायो केमिकल टेस्ट किए. जिसकी रिपार्ट में मुनि को पूरी तरह से फिट बताया. बीएमआई रिपोर्ट में यह बताया गया कि मुनि की ऊर्जा तकरीबन 18 से 20 वर्ष के युवा की है. सभी रिपोर्ट पर वैज्ञानिक रिसर्च करके उसे पब्लिश भी किया जाएगा. विराग मुनि कहते हैं कि उन्होंने सूर्य व हवा से ऊर्जा ली. खाना खाने से शारीरिक तकलीफ कम नहीं होती बल्कि बढ़ती है. 171 दिन में यूरीन आदि से जुड़ी कई तकलीफें पूरी तरह से ठीक भी हो गई.
इस पारणा के कार्यक्रम में पूरे देश से बड़ी संख्या में जैन समाज के श्रावक, श्राविका, बच्चे की उपस्थिति थी.