G-20 समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस, जानें क्यों और क्या है इसकी खासियत Prime Minister Narendra Modi launches Global Biofuel Alliance at G-20 Summit, know why and what is its specialty New Delhi:

G-20 समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस,

❓जानें क्यों और क्या है इसकी खासियत

नई दिल्ली: दिल्ली में चल रहे G-20 सम्मेलन में भारत की कामयाबी का परचम लहराया है. इस दौरान पीएम मोदी ने ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस की लॉन्चिंग की. जी20 सम्मेलन में दौरान पीएम मोदी ने ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस लॉन्च करते हुए दुनिया के बाकी देशों से इसमें शामिल होने और इस दिशा में आपसी सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया है. पीएम मोदी ने कहा कि विश्व के सभी देश ईंधन को लेकर मिलकर काम करें. पीएम मोदी द्वारा लॉन्चिंग के बाद इस पर अब चर्चा हो रही है.

दिल्ली में G20 समिट के तहत बैठकों का दौर जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पहले सत्र की शुरुआत हुई. इस दौरान पीएम मोदी ने दुनिया के सामने कुछ सुझाव रखे. उन्होंने कहा, 'समय की मांग है कि सभी देश फ्यूल ब्लेंडिंग के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करें.

हमारा प्रस्ताव है कि पेट्रोल PETROL में इथेनॉल ब्लेंडिंग को ग्लोबल स्तर पर 20 परसेंट तक ले जाने के लिए इनिशिएटिव लिया जाए.या फ़िर, GLOBAL GOOD के लिए हम कोई और ब्लेंडिंग मिक्स निकालने पर काम करें, जिससे एनर्जी सप्लाई बनी रहे और CLIMATE भी सुरक्षित रहे. इस सन्दर्भ में, आज हम Global Biofuel Alliance लॉन्च कर रहे हैं. भारत आप सबको इससे जुड़ने के लिए आमंत्रित करता है.

G20 शिखर सम्मेलन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण और जलवायु अवलोकन के लिए G20 सैटेलाइट मिशन शुरू करने का भी प्रस्ताव रखा और नेताओं से ग्रीन क्रेडिट पहल पर काम शुरू करने का आग्रह किया. मोदी ने कहा कि वैकल्पिक रूप से हम व्यापक वैश्विक भलाई के लिए एक और फ्यूल ब्लेंडिंग डवलप करने पर काम कर सकते हैं, जो फिक्स्ड एनर्जी सप्लाई सुनिश्चित करने के साथ-साथ क्लाइमेट सुरक्षा में भी योगदान देता है.

▪️सबसे ज्यादा कहां बनता है बायोफ्यूल?
साल 2022 में दुनिया में सबसे ज्यादा एथेनॉल बनाने वाले देश अमेरिका और ब्राजील हैं. अमेरिका ने 57.5 अरब लीटर और ब्राजील ने 35.6 अरब लीटर एथेनॉल बनाया. जबकि बायोडीजल बनाने के मामले में यूरोप सबसे आगे रहा. वहां 17.7 अरब लीटर बायोडीजल का उत्पादन हुआ. उसके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका और तीसरे नंबर पर इंडोनेशिया है.

▪️कैसे तैयार होता है बायोफ्यूल? 
बायोफ्यूल बनाने के लिए अलग तरह के रिफाइनरीज का इस्तेमाल किया जाता है. इसको फसलों के भंडार के आधार पर कैटेगराइज किया जाता है. फर्स्ट जेनरेशन बायोफ्यूल खाद्य फसलों के भंडार पर निर्भर करता है. फर्स्ट जेनरेशन यूनिट में गन्ने की फसल और ग्रेन स्टार्च को प्रोसेस किया जाता है, जबकि सेकेंड जेनरेशन बायोफ्यूल को डवलप बायोफ्यूल के तौर पर जाना जाता है. इसमें प्रोसेस नॉन-एडिबल प्लांट्स, वूडी बायोमास या भूसी में होता है. थर्ड जेनरेशन बायोफ्यूल बायोमास एल्गी और माइक्रोब्स से बनाया जाता है. फोर्थ जेनरेशन बायोफ्यूल कॉर्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करने वाली बायोमास सामग्री पर निर्भर करते हैं. 

▪️बोयफ्यूल क्या है? 
बायोफ्यूल का मतलब पेड़-पौधों, अनाज, शैवाल, भूसी और फूड वेस्ट से बनने वाला ईंधन है. बायोफ्यूल्स को कई तरह के मायोमास से निकाला जाता है. इसमें कार्बन की कम मात्रा होती है. अगर इसका इस्तेमाल बढ़ेगा तो दुनिया में पारंपरिक ईंधन पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा.

▪️ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस का क्या है उद्देश्य?
ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस बनाने का उद्देश्य टिकाऊ बायोफ्यूल का इस्तेमाल बढ़ाना है. साथ ही इसका मकसद बायोफ्यूल मार्केट को मजबूत करना, ग्लोबल बायोफ्यूल कारोबार को सुविधाजनक बनाना, तकनीकी सहायता प्रदान करने पर जोर देना है. 

▪️पहली बार कब हुआ इस्तेमाल?
पहली बार साल 1890 में रुडोल्फ डीजल ने खेती केलिए इंटरनल कंबशन इंजन को चलाने के लिए वेजिटेबल ऑयल का इस्तेमाल किया था.

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