अवैध होर्डिंग बने जानलेवा, इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार? Illegal hoardings have become life-threatening, Who is responsible for this negligence?

अवैध होर्डिंग बने जानलेवा

इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार?

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चंद्रपुर, 20 सितंबर: कुछ महिने पहिले मुंबई के घाटकोपर इलाके में होर्डिंग गिरने की घटना में मरने वालों की संख्या 14 थी और जबकि 74 लोग घायल हो गए थे. अवैध होर्डिंग गिरने की यह कोई पहला घटना नहीं है. देश में लगभग हर शहर, महानगर में अवैध होर्डिंग से परेशान है. हादसों के बाद शासन और प्रशासन अलर्ट होता है. एक्शन के तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन कुछ समय बाद कार्रवाई ठहर जाती है और फिर शहरों, महानगरों में ये जानलेवा होर्डिंग का कारोबार लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने लगता है. इन घटनाओं के बाद सरकारी विभाग भी अपने पल्ले झाड़ लेते हैं. सालभर पहले पुणे में भी अवैध होर्डिंग गिरने से पांच लोगों की जान चली गई थी.

कौन होते हैं जिम्मेदार?
शहरों, महानगरों में होर्डिंग लगाने के लिए सरकार नगर निकाय की जवाबदेही तय करती है. नगर निकाय होर्डिंग के लिए एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपती है. ये एजेंसियां ही शहर में जगह और स्थान तय करती हैं. तय समय-सीमा के लिए विज्ञापन लगाने के लिए जगह मुहैया करवाती हैं. मानसून में भारी बारिश, तूफान के कारण होर्डिंग गिरने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे खतरनाक दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है. लापरवाही पाए जाने पर सरकार एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट कर सकती है और उनका लाइसेंस रद्द कर सकती है. 
अगर होर्डिंग गिरने से जनहानि होती है तो नगर निगम या फिर होर्डिंग लगाने वाली एजेंसी के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है. सरकार की तरफ से भी मुआवजा दिया जा सकता है. पीड़ित परिवार कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है और निकाय या एजेंसी को अवैध होर्डिंग या गलत होर्डिंग लगाने के लिए दोषी पाया जाता है तो कोर्ट मुआवजा के लिए आदेश दे सकती है.

होर्डिंग से नागरिकों को क्यों होती है परेशानी?
अवैध बैनर और होर्डिंग्स शहरों, महानगरों के अधिकांश चौराहों, सिग्नलों और जंक्शनों पर लगाए जाते हैं. यही लोगों की सबसे बड़ी मुसीबत बनते हैं. दरअसल, होर्डिंग लगने के बाद सड़कें सिकुड़ जाती हैं और आसपास मूवमेंट भी साफ नहीं दिखाई देता है. सड़क पर चलने वाले लोगों को परेशानी होती है. ट्रैफिक में भी बाधा उत्पन्न होती है. कुछ मामलों में यह जानलेवा भी साबित होते हैं. अवैध पोस्टर-बैनर और होर्डिंग लोगों और दुकानदारों के लिए बहुत परेशानी पैदा करते हैं. कई बार तो बैनर दुकान के एंट्री गेट को ढक देते हैं. चौक में फ्लेक्स से सड़क ढक जाती है और दुर्घटनाएं होती हैं. इसे महीनों तक नहीं हटाया जाता है. यह कभी ना खत्म होने वाली समस्या बन जाती है. चूंकि, होर्डिंग-पोस्टर अक्सर अनावश्यक मलबे का कारण बनते हैं. रखरखाव की कमी के कारण लगातार टूट-फूट होती रहती है. यह चौराहों से लेकर संकरी गलियों तक समस्या देखी जाती है. होर्डिंग्स शहर, महानगर की सुंदरता को भी बिगाड़ते हैं.

समस्या से कैसे पा सकते हैं निजात?
शहरों, महानगरों में नागरिकों की आम राय होती है कि सरकारों को सिर्फ सीमित पोस्टरों के लिए एक विशिष्ट स्थान आवंटित करना चाहिए. इसके अलावा, कंपनियों और विज्ञापन एजेंसियों को प्रचार के लिए सोशल मीडिया का भी प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए. सरकार को शहरी जीवन पर इसके प्रभाव को सीमित करने के लिए रणनीतिक योजना बनानी चाहिए. सार्वजनिक जीवन, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए एलईडी सेट-अप के प्लान पर भी काम करना चाहिए. पोस्टर लगाने के सदियों पुराने तरीकों को बंद किया जाना चाहिए.

2023 में भी पुणे में टूटकर गिरा था होर्डिंग
पुणे जिले के पिंपरी चिंचवाड़ में अप्रैल 2023 में बड़ा हादसा हुआ था. यहां रावल किवले इलाके में होर्डिंग बोर्ड गिर गया था, जिसकी चपेट में आने से पांच लोगों की मौत हो गई थी. जबकि दो अन्य लोग घायल हो गए थे. मरने वालों में चार महिलाएं और एक पुरुष शामिल था. आंधी चलने के कारण कुछ लोग लोहे के होर्डिंग के नीचे पंक्चर की दुकान में खड़े हो गए थे, तभी होर्डिंग उनके ऊपर जा गिरा. पुणे में आंधी के कारण कई अन्य इलाकों में होर्डिंग गिरने की घटनाएं सामने आती रही हैं.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी अवैध होर्डिंग पर जताई थी नाराजगी
दिसंबर 2023 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि मुंबई निवासी इनसे छुटकारा पाना चाहते हैं, क्योंकि ये महानगर को बदरंग करते हैं. कोर्ट का कहना था कि अगर ऐसे होर्डिंग और उन्हें लगाने वाले लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाती है तो मुंबई बदरंग करने वाले ऐसे साइनबोर्ड से मुक्त हो जाएगा. होर्डिंग और बैनर ना सिर्फ शहर, महानगर को बदनाम करते हैं, बल्कि बाधाएं भी पैदा करते हैं और कभी-कभी खतरनाक भी होते हैं. कोर्ट ने पूछा था, क्या ऐसे मामलों से निपटने के दौरान कानून लागू करने वाली एजेंसियों का आदेश लागू होगा या उनका, जो लोग कानून का पालन नहीं करते हैं. बेंच ने सभी नगर निकायों को अवैध होर्डिंग और बैनर के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. बेंच का कहना था कि सरकार सामान्य आदेशों का भी पालन नहीं कर पा रही है. अप्रैल 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अवैध होर्डिंग्स पर साफ कहा था, सार्वजनिक स्थान का इस्तेमाल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट का कहना था कि किसी भी राजनीतिक, धार्मिक या व्यावसायिक संगठन को अपने निजी लाभ के लिए सड़कों और फुटपाथों पर होर्डिंग्स लगाने के लिए सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. बेंच पूरे महाराष्ट्र में अवैध होर्डिंग्स से संबंधित जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अवैध होर्डिंग और बैनर लगाने से पैदल चलने वालों को खतरा हो सकता है.

Illegal hoardings have become life-threatening, 

Who is responsible for this negligence?

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