मूल्य शिक्षा वर्तमान समय की आवश्यकता


मूल्य शिक्षा वर्तमान समय की आवश्यकता

       मूल्य शिक्षा से मन का विकास है, इस विषयपर जीवनी होनी चाहिए। मनुष्य को समाज में हो रहे कायाकल्प पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए,  भारत यह एक परंपरा, मूल्यों की संस्कृतिहै। आइए अब भारत का एक आदर्श नागरिक बनाएं।  आज, भले ही हम समाज  में देखते हैं, हम महसूस करते हैं कि हमारे समाज में, भ्रष्टाचार, हिंसा, स्वार्थ, लालच, व्यभिचार, धन का लालच, धन की लालसा हर जगह कम या ज्यादा देखी जाती है।  मनुष्य भौतिक सुख में खो जाता है।  पहले के समय की गुरु-शिष्य परंपरा के कारण, भारत में सभ्य और बुद्धिमान नागरिक हुआ करते थे। टीवी, मोबाइल यह सब अच्छे के लिए बनाया गया है, लेकिन यह मानवीय प्रवृत्ति है जो सबसे ज्यादा आकर्षित करती है।  

आज जब आप अखबारों में या टेलीविजन पर समाचार देखते हैं, तो एक भी दिन ऐसा नहीं होता, जहां हत्या, लूट या बलात्कार जैसी कोई खबर न हो।  आज हमें शिक्षा के माध्यम से मूल्य शिक्षा प्रदान करके एक सभ्य मानव बनाने की आवश्यकता है। 

    मनुष्य सामाजिक प्राणी है और समाज में रहने के लिए सभी के लिए आदर्श आचार संहिता है।  बदलती परिस्थितियों में, अकेले शिक्षा बच्चों को सुसंस्कृत नहीं बनाती है।  इसके लिए सामाजिक परिवर्तन, चरित्र विकास, नैतिक स्थायी और एकीकृत विकास के लिए किसी व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी जीवन को सुखी, शांतिपूर्ण और चिकित्सा बनाने के लिए मूल्य शिक्षा प्रदान करना समय की आवश्यकता है।

  स्वामी विवेकानंद ने कहा है, "यदि धन खो गया है, तो डरने का कोई कारण नहीं है। यदि प्रकृति खो गई है, तो यह चिंता का विषय है, लेकिन यदि चरित्र और मूल्य खो गए हैं, तो इसका सत्यानाश हो जाएगा।" 

    मूल्य शिक्षा नैतिकता का परिवर्तन, मूल्यों का परिवर्तन और मानवता का आचरण है।  मां जानती है कि बच्चे को बिना बताए क्या चाहते हैं।  वर्तमान के बदलती सामाजिक स्थिति में, माता-पिता के पास अपने बच्चों का पालन-पोषण के साथ सही संस्कार करने का समय नहीं है।  दोनों माता-पिता अपने काम में व्यस्त हैं।  शाम को शुभंकरोती  कहना, बडोंके पाव छुकर आशीष लेना चाहिए। लेकिन माता पिता दोनों बाहर काम से देर रात तक घर नहीं पहुंचती है।  तब बच्चों को कैसे पता चल पाएगा ।  शाम को शुभंकरोती कहो, बड़ों का अभिवादन करो।  संस्कार ऐसा कहने से नहीं होता और वे सिर्फ सीखने से जड़ नहीं पकड़ते उन्हें आचरण में लाने की जरूरत है।  हम यह कह सकते हैं कि हमने केवल मूल्य शिक्षा दी है। लेकिन  उन्हें ऐसी स्थिति में कैसे व्यवहार करना चाहिए।  मूल्य शिक्षा में सभी की जिम्मेदारी समान रूप से महत्वपूर्ण है।  फिर वह माता-पिता, शिक्षक, मित्र या कोई भी हो सकता है।  एक व्यक्ति के रूप में, परिवार के एक तत्व के रूप में, नैतिक मूल्यों का होना प्रत्येक तत्व के लिए समान और समान रूप से महत्वपूर्ण है।  सभी को अपने आसपास की स्थिति के बारे में पता होना चाहिए।  अपने आप को और अपने आस-पास के लोगों के सुख और दुःख में सामंजस्य होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।  आज, अलग-अलग विभक्त पारिवार में और फ्लैटों में रहना भी एक व्यक्ति के लिए अकेले रहने की आदत बना चुका है।  एक ही बच्चा होने के नाते कुछ भी साझा करने या साझा करने की आदत नहीं है।  नतीजतन  बच्चे अब जिद्दी, नीरस, असहिष्णु, और इसलिए उदास हैं।  इसके लिए, माता-पिता को पहले अपने व्यवहार को बदलने की जरूरत है।  हमें अपने आप में खामियों को खोजना होगा और उन्हें दूर करना होगा। अपने बच्चों के सामने एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में आगे आना होगा।  क्योंकि बच्चे नकल करने वाले होते हैं।  वे अच्छे और बुरे के बीच अंतर नहीं जानते हैं।  धूम्रपान, बड़ों का अनादर, आतिथ्य का अभाव, छोटे और बड़े घर के कामों में छोटा बड़ा काम ऐसी तुलना करना, देर से सोना, देर से उठना, टी. वी . देखना, माता-पिता और बड़ों को इन सभी चीजों को छोड़ना होगा। यदि उन्हें उनके बच्चे आगे बढ़ना चाहिए चाहते हैं।जबतक बड़े अपने बच्चों के सामने अपना आदर्श नहीं रखेंगे। बच्चों से उम्मीद करना पुर्ण रूप में सही नहीं है क्योंकि बच्चे अनुकरणशील होते है। वह जैसे माहौल में पलते हैं, बड़े होते हैं उसी का अनुकरण करते हैं। इसलिए यदी समाज को बदलना हे, समाज में अच्छे मुल्योंका होना जरूरी है। ऐसे में सिर्फ बच्चों को ही नहीं बडों को भी मुल्यशिक्षा की आवश्यकता है। 
 दिल में ईमानदारी हो तो चरित्र सुंदर होगा।  अगर चरित्र सुंदर है।  परिसर सुंदर होगा।  अगर इलाका सुंदर हो जाए तो देश उबर जाएगा।  और अगर देश उबर ता है। तो दुनिया में शांति कायम होगी। 
ऐसे विचार डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा प्रस्तुत और बहुत ही  सोचनिय  है। इसलिए, अगर हम आज के समाज में आतंकवाद, अवैध व्यापार, भ्रष्टाचार, बलात्कार, हत्या, आदि की घटनाओं को दूर करना चाहते हैं, और यदि हम बुद्धिमान नागरिकों के साथ एक राष्ट्र का निर्माण करना चाहते हैं, तो मूल्य शिक्षा की आवश्यकता है।  परंपरा, मूल्य, संस्कार एक साथ आए, नैतिकता एक जीवनी चरित्र के साथ आई।

     लेखिका :- सौ. जयश्री निलकंठ सिरसाटे
 गोंदिया
9423414686