दुनिया बोली भारत का कर्ज चुकाना है , कई बड़े देशों ने मदद के लिए बढ़ाया हाथ #इंडिया #कोविड-19

दुनिया बोली भारत का कर्ज चुकाना है  

कई बड़े देशों ने मदद के लिए बढ़ाया हाथ

दुनिया में सबसे अधिक कोरोना भारत में कहर मचा रहा है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। देश में 24 घंटे के भीतर 3.54 लाख नए केस सामने आए हैं। वहीं 2800 लोगों की मौत हो गई है। देश में कोरोना का मंजर इतना भयानक है कि, लाशों को जलाने के लिए श्मशान घाट कम पड़ गया है। पार्क को श्मशान घाट में बदला जा रहा है। अस्पतालों के बाहर लोग इलाज के आभाव में दम तोड़ रहे हैं। वहीं ऑक्सीजन की कमी देश की राजधानी दिल्ली में सबसे अधिक है। यहां लोग मैक्स और सरगंगाराम जैसे बड़े अस्पतालों के बाहर दम तोड़ रहे हैं।

कोरोना के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए वैक्सीनेश को तेज किया जा रहा है। इसलिए वैक्सीन का उत्पादन भारी मात्रा में किया जा रहा है। यही कारण है कि, भारत ने वैक्सीन बनाने के लिए कच्चे माल की मांग अमेरिका से की थी। लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने यह कहकर मना कर दिया था कि, अमेरिकन फर्स्ट पर वही अमेरिका भारत को मदद मुहैया कराने के लिए पूरी तैयार के साथ आगे आया है।

भारत को मदद मुहैया कराने को लेकर अमरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि, ”महामारी की शुरुआत में जब हमारे अस्पतालों पर भारी दबाव था उस समय भारत ने अमेरिका के लिए जिस तरह सहायता की थी, उसी तरह भारत की जरूरत के समय में मदद करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।”
इसी मुद्दे पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का भी बयान आ गया है। उन्होंने कहा है, ”अमेरिकी सरकार, कोविड-19 के प्रकोप के समय भारत को अतिरिक्त सपोर्ट और सप्लाई मुहैया कराने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही है. हम भारत के लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं, खासकर उसके बहादुर हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए।”

बता दें कि, इस समय 132 करोड़ की आबादी वाला देश भारत भारी संकट से गुजर रहा है। जहां पर कोरोना के कारण रोजाना 2 हजार से अधिक मौतें हो रही हैं। इस संकट के समय में अमेरिका ही नहीं बल्की कई देशों ने भारत की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है।

ब्रिटेन सरकार के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया। कहा- भारत को तुरंत 600 मेडिकल इक्विपमेंट्स भेजे जा रहे हैं। इनमें ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर्स और वेंटिलेटर्स शामिल हैं। दूसरी तरफ, बुर्ज खलीफा को भारतीय तिरंग के रंग में रंगा गया। इसके जरिए भारत के साथ खड़े होने का संदेश दिया गया।
भारत में मेडिकल ऑक्सीजन कैपेसिटी बढ़ाने के लिए फ्रांस और जर्मनी ने तैयारी कर ली है। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने इसे ‘मिशन सपोर्ट इंडिया’ नाम दिया है। उन्होंने कहा- महामारी से हम सब जंग लड़ रहे हैं। हम भारत के साथ मजबूती से खड़े हैं। हमने इसके लिए तैयारी कर ली है। फ्रांस ने भी इसी तरह का बयान जारी किया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी कहा कि वो भारत की हरसंभव मदद करेंगे।

सिंगापुर सरकार ने रविवार शाम एक शिपमेंट भारत के लिए रवाना किया। इसमें ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर्स और दूसरे मेडिकल इक्विपमेंट्स शामिल हैं। यहां सामान एयर इंडिया की एक स्पेशल फ्लाइट के जरिए भारत रवाना किया गया है। दो दिन पहले सिंगापुर सरकार ने भारतीय विदेश मंत्रालय से संपर्क किया था

यूरोपीय कमीशन की कमीशन उर्सला वॉन डेर लिन ने रविवार शाम कहा- भारत में महामारी से पैदा हुए हालात को लेकर हम चिंतित हैं। इस मुश्किल वक्त में यूरोपीय यूनियन भारत को फौरन मदद करने जा रही है। यूरोपीय यूनियन में शामिल देशों के बीच एक समझौता है। इसके तहत वे इमरजेंसी में अपने सहयोगी देशों को मदद दे सकते हैं और इसका फैसला यूरोपीय कमीशन का अध्यक्ष कर सकता है।
ईरान के हेल्थ मिनिस्टर सईद नामाकी ने भारत के हेल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन को एक पत्र लिखा। इसमें कहा कि उनका देश भारत को तकनीकी मदद देने के लिए तैयार है। नामाकी ने कहा- इस मुश्किल वक्त का सामना मिलकर ही किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर लगे प्रतिबंधों का भी जिक्र किया। कहा- अगर महामारी से निपटना है तो बिना किसी भेदभाव और प्रतिबंधों के काम करना होगा। सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को साथ आना होगा।